आज मैं अपनी कक्षा में पहली बार गई सब से  पहली बार मिल रही थी पर ऐसा लग रहा था कि उन सब से मैं पहले भी मिली हूँ । कक्षा में केवल एक ही लड़का था बाक़ी सारी लड़कियाँ, तो इसे देख कर एक तरह से ख़ुशी भी हो रही थी कि लड़कियाँ बढ़ रही हैं नहीं तो आज भी हमारे देश में कई ऐसे राज्य हैं जहाँ लड़कियों को बोझ माना जाता है और उनको शिक्षा से वंचित रखा जाता है ।

यह मेरी पहली कक्षा थी मैं ख़ुश भी थी पर कहीं ना कहीं  डर भी था पर जो भी था अपनी कक्षा के बच्चों को देख कर ख़ुशी हो रही थी कि ये मेरी कक्षा है और आज के बाद मुझे इन से हर दिन मिलना है तो मैं उन के लिये बहुत कुछ करना चाहती थी बस थोड़ा सा डर ये था कि कैसे मैं सब से मिलजुल कर रहूँ इसके लिए मैं क्या करूँ। उस स्कूल में और भी बहुत छोटे छोटे बच्चें हैं जिनकी मुस्कुराहट को देख के दिल खुश हो जाता है । 

मुस्कान कभी भी ख़रीदी नहीं जाती वह तो अनमोल है तो हमेशा हँसते रहो क्या पता आपकी एक मुस्कान किसी के दिल को सुकून पहुँचाती हो ।

मेरे दिल में बहुत से सवाल थे उस दिन, मैंने बस कक्षा में अपनी पहचान बताई और उन के बारे में थोड़ा थोड़ा जानने की कोशिश की । मैं चाहती थी कि कक्षा के बच्चों के साथ मैं मिलजुल कर रहूँ वो हर बात मुझसे खुल के कर सकें और मैं अपनी कक्षा के लिए पहले से ही बहुत कुछ करना चाहती थी इसके लिए मैंने अपने सीनियर फेल्लोस से भी पूछा था जब वह जा रहे थे तो मैं उनसे  मिली और उनसे मेरा सवाल था कि आप जाते जाते मेरे लिए कुछ ऐसा छोड़ के जाओ जो मैं अपनी कक्षा में हमेशा ले के जा सकूँ तो उनका जवाब था कि तुम अपनी कक्षा में हमेशा एक मुस्कुराहट ले के जाओ क्योंकि जब भी हम कक्षा में दुःखी हो-के जाएंगे हमारी कक्षा उतनी ही ख़राब जाएगी लेकिन जब हम एक छोटी सी भी मुस्कान ले के जाएँगे तो बच्चों के चेहरे पर ख़ुद ही मुस्कान आ जाएगी ।

 जब भी मैं अपनी कक्षा में जाती हूँ तो मुझे हमेशा बच्चों के मुस्कुराहट भरे चेहरे दिखते हैं जो मेरे होठों पर ख़ुद ही एक मुस्कुराहट लाते हैं, जब भी मैं कक्षा में जाऊँ  तो हमेशा मुझे वह बात याद आती है जो मेरे सीनियर फेल्लोस कह के गए थे जिसको मैं कभी नहीं भूलूंगी कि जब भी अपनी कक्षा में जाओ तो अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान जो आपकी कक्षा को बेहतर बना देगी । 

 तो मुस्कुराए ऐसे जैसे मुस्कुराहट ज़िंदगी की ज़रूरत है। 

जब कोई आपको देखे तो कह दे ज़िंदगी कितनी ख़ूबसूरत है ।।

कक्षा को बेहतर बनाने के लिए आविष्कार सब कुछ करता है  है क्योंकि कभी भी आज तक ऐसा नही हुआ कि हम अपनी कक्षा में कुछ ले के ना गए हो जो भी पढ़ाया  जाता है उसे हम दिखाने की कोशिश करते हैं ताक़ि बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा समझ आए और कभी भी हम कक्षा में बिना तैयारी किए नहीं गए और ना ही कभी क़िताब से रट कर पढ़ाया

क्योंकि कामयाबी कभी भी किताब को रटने से नही मिलती, अपने उस हुनर को समझने से मिलती है जो कि हम अपने अंदर दबा के रखते हैं ।

मेरे लिए अपने डर और हुनर को बाहर निकालने का ये सबसे बड़ा मौक़ा है क्योंकि हमें यही सिखाया जाता है कि जब तक हम अपने अंदर का डर बाहर नही निकालेंगे तब तक हम कुछ नहीं कर सकते जब तक हम अपने हुनर को नहीं समझेंगे तब तक हम अपना कल नहीं बना सकते  । 

और कल की सबसे अच्छी तैयारी यही है कि पहले अपना आज अच्छा बनाए ।

 आविष्कार का यहीं कहना है कि जब तक हमें ख़ुद को किसी बात की पूरी समझ नही है तब तक हम किसी और को बताने के क़ाबिल नही है और जब पूरी समझ होगी तब हम किसी से दबेंगे नहीं क्योंकि क़ाबिल लोग ना किसी को दबाते हैं और न किसी से दबते हैं ।ख़ुद को किसी चीज़ के क़ाबिल बनाने का एक ही तरीका है वह है मेहनत ।

मेहनत एक ऐसी चाबी है जो बन्द क़िस्मत

के ताले भी खोल देती है ।

मैंने आविष्कार में आज तक सबसे ज़्यादा यही बात  सीखी है कि बस मेहनत से और ख़ुशी से अपना काम करते जाइये एक न एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी और सफलता चाहे कितनी भी ऊँची हो रास्ते हमेशा पैरों के नीचे ही हो कर जाते हैं । तो हमेशा मुस्कुराते रहिये और कभी भी मेहनत करना मत छोड़िए ।