जब पहली बार मैं घर से दूर रहने लगी अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए, क्योंकि कॉलेज घर से दूर था तो हर दिन घर से आना जाना संभव नहीं था और इससे मेरी पढ़ाई पर भी फर्क पड़ रहा था तो घर वालों की रज़ामंदी के साथ मन बनाया कि मैं कॉलेज के आस पास ही रहूँ ताक़ि मेरी पढ़ाई पे असर न पड़े । घर में कुछ और माहौल था वहाँ का कुछ और था । जब तक घर में रही तब तक इधर उधर की कोई भी चिंता नहीं लेकिन जब घर से दूर रहने लगी तो खाना ख़ुद बनाओ , कपड़े ख़ुद धो, सब कुछ ख़ुद ही करो और रात रात भर पढ़ो भी ।
जब यह सब करने लगी तो मैं सोचती थी कि इसी तरह मेहनत करके कोई अच्छी सी नौकरी कर लूंगी ओर वही मेरी दुनिया होगी। तो मैं सोचती थी कि मैं सब कुछ तो कर रही हूँ, यही तो सब कुछ है इससे ज़्यादा क्या होगा, मुझे तो पूरी दुनिया की समझ है। पढ़ाई में अच्छे नंबर ले लेना अध्यापक और घर में सब को खुश कर देना इससे बढ़ कर क्या होगा, कुछ इससे बढ़ कर हो ही नहीं सकता ।
क्योंकि वहाँ मेरे आसपास का माहौल ऐसा था तो मैं यही सोच पाती थी लेकिन धीरे धीरे जैसे मैं चलती गई मैंने हर मोड़ पर ज़िंदगी का एक अलग नज़रिया देखा, अपनी जीवन को हर जगह अलग पाया। मेरा सपना है कि मैं अपने जीवन में आगे बढ़ कर कुछ अलग करूँ, अपने जीवन को एक अलग मोड़ की तरफ ले जा सकूँ। आज मैं इतना कुछ सोच पा रही हूँ कहीं न कहीं यह सब मुझमें घर से बाहर रह कर आया है, घर पर कभी ऐसा नहीं था कि बंधी हुई थी क्योंकि अगर ऐसा होता तो मैं कभी बाहर आ ही नहीं पाती। घर वालों की तरफ से हमेशा खुला माहौल मिला। तो कुछ नया करने और सीखने के लिए घर से बाहर क़दम रखा और यही कारण है कि आज मुझे बहुत कुछ सीखने और करने को मिल रहा है।
जब पहली बार आविष्कार आई थी तो घर से काफी दूर हो गई थी, पर घर वालों ने इतनी दूर जाने से मुझे नहीं रोका । यहाँ आकर मैंने देखा की यहाँ की दुनिया मेरी दुनिया से बिल्कुल अलग थी । यहाँ आकर मैं काफ़ी लोगों से मिली सब के विचार अलग अलग थे जो उनको अगले कदम की तरफ ले जा रहे थे । फिर यहाँ से पहली बार मुझे हिमाचल से बाहर जाने का मौक़ा मिला और मैं बिहार गई ।
पहली बार हिमाचल से बाहर जाना मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन मैं यह सोच कर गई कि शायद यह एक क़दम मेरी ज़िंदगी में नया मोड़ लाएगा । वहाँ जाकर बिल्कुल वैसा ही हुआ, मैंने वहाँ अपने से बिल्कुल अलग दुनिया देखी जहाँ लड़कियों को आज भी कोई ज़्यादा आज़ादी नहीं उन सब की एक अलग कहानी जो मेरी कहानी से बिल्कुल अलग थी। उनको आज़ादी नहीं थी फिर भी उन सब के सपने थे आगे बढ़ने के। तो मैं उनकी कहानी अपनी कहानी से जोड़ रही थी कि जब आज़ादी न होने के बावजूद भी उनको आगे बढ़ना है तो मेरी कहानी तो उन सब से अलग है, मुझे तो यहाँ पूरी आज़ादी है तो अगर वह सब लड़कियाँ ऐसा सोच सकती है की इनको आगे बढ़ना है तो मैं क्यों नहीं । वहाँ से मेरी एक अलग दुनिया शुरू हुई ।
आज भी मुझे याद है जब पहली बार मैं बच्चों की कक्षा में गई थी वहाँ मुझे पूरी कक्षा नहीं लेनी थी बस पाँच मिनट का बच्चों को एक पढ़ाई से जुड़ा हुआ खेल करवाना था ।
तो जब वह मेरे पाँच मिनट आए तो मैं एकदम डर में थी, सहमी हुई कि अगर कुछ ग़लत बोल दिया तो पता नहीं क्या हो जाएगा। उस समय मेरे अंदर बच्चों के सामने भी बहुत ज़्यादा झिझक थी। लेकिन धीरे धीरे करके मैंने उस पड़ाव को पार किया और उस झिझक को दूर किया ।
और अगर आज का समय देखूँ तो यह लॉकडाउन मेरे लिए कहीं न कहीं सही साबित हुआ है इससे पहले मैं स्कूल में जाकर बच्चों के साथ काम करती थी उन्हें पढ़ाती थी । आज मैं बच्चों के साथ अध्यापकों की कार्यशाला में भी भाग ले रही हूँ जो मेरे लिए बहुत बड़ी बात है । अभी धीरे धीरे मैंने यह सब शुरू किया है और मेरी उम्मीद है कि यह भी मैं सही कर सकूँगी ।
मैंने इस एक साल मैं अपने अंदर बहुत विकास होता हुआ देखा है और मेरे आस पास ऐसे लोग रहे हैं जिन्होंने मुझे इस विकास की ओर बढ़ने में प्रोत्साहित किया है और आजतक करते आ रहा रहे हैं । अगर मैं अपनी पहले की ज़िन्दगी और आज की ज़िन्दगी देखती हूँ तो उसमें बहुत बड़ा बदलाव आया है और यह बदलाव मेरे लिए सही साबित हुआ है। मैंने देखा है और मैंने ख़ुद अनुभव किया है कि :-
ज़िन्दगी में हर तरफ बदलाव है जहाँ भी जाओ वहाँ आपको एक अलग माहौल अलग दुनिया देखने को मिलेगी । आपकी दुनिया जो कल थी वह आज नहीं है और जो आज है वह कल नहीं होगी।
तो अगर हम इसी बदलाव के साथ आगे बढ़ते रहे तो बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन अगर एक बार रूक गए तो फिर चलने में मुश्किल होगी। आगे बढ़ना है तो रास्ते में काफ़ी मुश्किलें भी आएँगी जो हमारा रास्ता रोकेगी लेकिन बस इतना सोच के चलना है कि रूकना नहीं है विकास की ओर बढ़ावा देना है, आगे चलना है।
बबली ।