As we celebrate India’s 77th Independence Day, we reflect on the true meaning of freedom. At Aavishkaar, Independence is not just about the freedom to make choices, but about supporting individuals, especially women, to shape their own destinies. In this spirit, we share the inspiring stories of Khushi and Diksha, two young women who, through our Women Math Educator Program, have redefined what independence means to them.


  1. What does independence mean to you? आपके लिए आज़ादी का क्या मतलब है?

Khushi – अपने फैसले खुद से ले पाना, सही गलत सोच पाना ये मेरे लिए आज़ादी है। 

Diksha – मेरे लिए आज़ादी ये है की जो मैं चाहती हूँ वो मैं करूँ, किसी से पूछना न पड़े। Permission क्यों नहीं लेनी चाहिए? इसमें क्या गलत है? बात करो, उनकी सोच जानो, उनकी राय जानो और अपनी राय बताओ, पर permission लेने की ज़रूरत नहीं है।  


  1. Has your experience with Aavishkaar changed your understanding of this word? If yes, how? क्या आविष्कार में आने के बाद इस शब्द का मतलब बदला है आपके लिए? अगर हाँ, तो कैसे?

Khushi – जब मैं घर पर थी तो इतनी आज़ादी से कहीं आ जा नहीं सकती थी। अगर कहीं जा भी पाती तो वो भी बस आस पास और घर वालो से पूछ कर। पर आविष्कार में आने के बाद खुद के फैसले ले पाती हूँ।  कुछ करना होता है तो बता देती हूँ। अब बात करने से डर भी चला गया। और पैसे खर्च करने की समझ भी आयी है।  

Diksha – हाँ, जब मैं पैसे नहीं कमाती थी तब कुछ भी करने के लिए कारण बताना पड़ता था। जब आप खुद पर विश्वास बना लेते हो की आपको कुछ बड़ा करना है तो आप अपने परिवार को भी विश्वास दिला देते हो की आप को ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना है। जब खुद ही नहीं विश्वास करोगे तो दूसरे कैसे विश्वास करेंगे? शायद मुझे ज्यादा दूर का नहीं पता पर अपने आने वाले 4 -5  सालो का पता है।  

साझे सपने और आविष्कार से पहले  मैं घर से बहार नहीं निकली थी। मैं अपनी बात नहीं रख पाती थी। आविष्कार में आने के बाद भी 1-2 महीने बहुत चुप रही। दीदी ने मुझसे बात की ये समझने के लिए की मुझे कहाँ कहाँ दिक्कतें आयी। उन्होंने अपनी कहानी बताई और बतया की क्यों अपनी बात रखनी ज़रूरी है और कैसे हम अपनी बात रख कर दुसरो को समझा पाते है। आविष्कार में सब अपनी बात को रख पाते है। कोई judgement नहीं है। ये चीज़ मुझे बहुत अच्छी लगी और मुझे लगा की मुझे भी अपनी बात रखनी चाहिए। चाहे बात गलत हो या सही, रख दो। सही हुई तो अच्छा है और अगर गलत हुई तो कुछ सिखने को मिलेगा।  


  1. Can you share how joining the Women Math Educator Program, learning and teaching mathematics has impacted your life? Do you feel more independent now compared to before? क्या आप बता सकते हैं की Women Math Educator Program का हिस्सा बनने के बाद और गणित सीखने और सिखाने से आपके जीवन पर क्या असर हुआ है? क्या अब खुद को और ज्यादा आज़ाद महसूस करते हैं? 

Khushi – हिमाचल आने से पहले ये कभी नहीं सोचा था की मैं Primary Math Educator का Program करुँगी। सोचा था की कुछ Program Management जैसा कर लुंगी या हिंदी पढ़ा लुंगी। दसवीं के बाद मैंने  गणित छोड़ दी थी। Exams में number कम आये तो लगता है न की हम Math कभी कर ही नहीं पाएंगे, इसीलिए मेने ग्यारहवीं में Math नहीं ली थी। जब मैंने Program join किया था तब भी मैं गणित नहीं करना चाहती थी क्योंकि विश्वास नहीं था खुद पर गणित को लेके। पर आविष्कार से जुड़ने के बाद 1-2 महीनों में गणित करने में मज़ा आने लगा। अब किसी और को भी दिक्कत होती है तो मुझे पता है की मैं मदद कर सकती हूँ। कोई सवाल है Primary तक का तो मैं आसानी से कर सकती हूँ। आज मैं जहाँ भी हूँ वो Women Math Educator Program की वजह से ही हूँ। 

Diksha – मुझे नहीं पता था की बारहवीं के बाद क्या करुँगी। Women Math Educator Program मुझे अचानक से ही मिल गया था। गणित से तो मुझे काफी डर लगता था। बोर्ड के पेपर से पहले मैंने 3-4 महीने का tuition रखा था। Formulas की बिल्कुल समझ नहीं थी। उनका मतलब ही नहीं पता था। पर आविष्कार में जैसे गणित को पढ़ाया गया, हर formula का मतलब सिखाया गया, चाहे वो गुणा करना ही क्यों न हो — गणित का डर निकल गया। बच्चों को पढ़ा कर, जो सीखा वो आगे उनको सीखा कर भी बहुत अच्छा लगा। बच्चों को पढ़ा कर जो कुछ समझ में रह गया था वो भी बेहतर हो गया।  

जब गणित पहले पढ़ते थे तो ऐसा नहीं लगता है की और सीखना है। अभी मैंने सिर्फ Primary Math सीखा है पर अब जब में Middle School की किताबें देखती हूँ तो वो भी सीखने का मन करता है। अगर कोई सवाल नहीं समझ आता है, तो खुद लोगो के पास जाती हूँ की मुझे समझाओ। सोच बदली है, अब मन करता  है की गणित में आगे बढूं। सोच भी अब आज़ाद है।  


  1. What challenges did you face before joining the program, and how has Aavishkaar helped you overcome them? How does this relate to your personal sense of freedom? Program में शामिल होने से पहले आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आविष्कार ने आपको उनसे निपटने में कैसे मदद की है? इसका आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भावना से क्या संबंध है?

Khushi –  मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे गांव से हूँ। वहां से बाहर निकलना वो भी इतनी दूर। घर वाले तो मान गए थे पर आस पास के लोग ऐसी वैसी बातें कहते थे। आविष्कार से जुड़ने के बाद जब में दिवाली की छुट्टियों में घर गयी मेरी internship लग गयी थी, तब दस बीस लोगो में दो तीन लोगो को मेरा काम समझ आया। जब job लगी तब भी बहुत बाते सुनाई लोगो ने – उनको ये समझ में नहीं आ रहा था की इतनी कम समय में मुझे ऐसा काम कैसे मिला? गॉव में काम मिलना इतना आसान नहीं है न। फिर Program के अंत में मुझे एक certificate मिला तब लोगो को विश्वास हुआ। 

पहले इतनी समझ नहीं थी, अगर लोग कुछ कहते तो उनकी बातें सुन कर में खुद का हौसला तोड़ लेती। लेकिन अब मैं खुद पर ध्यान देती हूँ चाहे लोग कैसी भी बाते बनाये। खुद का हौसला नहीं तोड़ती। अपने पर विश्वास रखती हूँ।       

Diksha – मैंने सोचा नहीं था क्या करना है ज़िन्दगी में। मैंने ग्यारहवीं  में Commerce लिया था तो लोग कहते Banking कर लो, तो मुझे वो ही सही लगता। लोगो के बात पे आसानी से आ जाती थी मैं। मेरा कोई goal नहीं था। लेकिन यहाँ आने के बाद, आने वाले चार पांच सालो की समझ है मुझे, पता है की क्या करना है और किन चीज़ो पे focus करना है।   

कभी घर से बाहर नहीं निकले थे – नहीं मालूम था की बाहर कैसे रहना है, पैसे कैसे संभालना है, परिवार से दूर रहकर उन्हें कैसे खुश रखना है, खुद को कैसे खुश रखना है, किस पे विश्वास करना है और किस पर नहीं करना। इन सभी चीज़ो की समझ मुझे ज्यादा आज़ाद करती है। 

पहले कभी नहीं सोचा था की मैं अपने घर वालो का खर्चा उठा सकती हूँ। पर अब मुझे पता है की मैं खर्चा उठा सकती हूँ, शायद अभी बहुत अच्छे से नहीं पर काफी हद तक मदद कर पाती हूँ।  


  1. How do you think your role as a math educator contributes to the independence of other girls in your community? आपको क्या लगता है कि एक गणित शिक्षक के रूप में आप अपने समुदाय (community) की अन्य लड़कियों की स्वतंत्रता में कैसे योगदान (contribute) देती है? 

Khushi –  अभी जब में गॉव जाती हूँ तो अपने photos – videos दिखाती हूँ आस पास की लड़कियों को। वो देखती है तो उन्हें भी लगता है की “मैं भी पढूंगी और पढ़ाऊंगी बच्चो को”। मुझसे पूछती है की “मुझे भी Program करना है बताओ कैसे करूँ?” मुझे बहुत अच्छा लगता है ये सुन कर। मेरे घर में एक लड़की है जो मुझसे केवल चार महीने छोटी है। उसने भी मुझसे बहुत अच्छे से पूछा, वो दिल्ली भी गयी थी काम करने। उसने मेरे से पूछा ख़ुशी “तुम कैसे घर से इतना दूर रह लेती हो”। कुछ न कुछ तो inspire हुई वो मेरे से।  

Diksha – मेरे साथ स्कूल में जो भी लड़कियां पढ़ती थी वो आज शादी शुदा है। वो मेरे से पूछती है की मेने ये सब कैसे कर लिया। स्कूल में हम पढाई सिर्फ number के लिए करते थे। 

साझे की लड़कियों से मिलने के बाद मेरी समझ भी बदली। पहले अपनी ज़िन्दगी के दुःख इतने बड़े लगते थे पर जब उनसे मिली तो समझ आया की सभी कि ज़िन्दगी में काफी दिक्कतें है। 

मैंने कॉलेज के second year में साझे का interview दिया था। मेरे से बहुत सी लड़कियों ने बात किया की मैं क्या कर रही हूँ। अब वो कहती है की कैसे मेरे एक decision से मेरी ज़िन्दगी बदल गयी की कैसे मेरे बोलने, सोचने, सभी का तरीका बदल गया। 


  1. As we celebrate Independence Day, what message would you like to share with other women and girls in similar situations as yours? इस स्वतंत्रता दिवस आप अपने ही जैसी और औरतों के लिए क्या सन्देश देना चाहेंगी? 

Khushi – मैं इतना ही कहना चाहती हूँ की घर से बहार निकलो, कुछ भी काम करो चाहे वो साड़ी बेचने का हो या शिक्षक बनने का। घर से बहार नहीं निकलोगे तो बाकी दुनिया कैसे देखोगे? अपने से दो – तीन हज़ार ही शुरुआत में कमा लो तो बहुत है। अपना खर्चा खुद उठाओ।        

Diksha –  दीदी थोड़ा सोचने का समय लेना चाहूंगी मैं। हम्म… 

मेरा सन्देश यही है की अपना goal set करलो और वो किसी को कैसे समझाना है पहले सोच लो। क्योंकि हमें शायद goals मालूम हो पर अपनी रुकावटों से आगे कैसे बढ़ना है ये नहीं मालूम होता है।  


This Independence Day, let us draw inspiration from Khushi and Diksha’s journeys. Their stories remind us that true freedom is about stepping out, embracing challenges, and making decisions that shape not just our futures, but also the futures of others around us. As an independent citizen of an independent India, what will you do or are currently doing to create opportunities and support those in need?