प्रिय कोरोना,

तुम हो तो ख़राब और बहुत कुछ ख़राब ही करा है, हर तरफ तुम्हारा ख़ौफ़ का साया है। सारी दुनिया को तुमने थमा सा दिया हैं मगर तुम फिर भी मेरे लिए प्रिय ही रहोगे वो इसलिए नहीं कि तुम्हारे आने से प्रकृति में फैले कार्बन उत्सर्जन द्वारा प्रदूषण में कुछ सुधार हुआ हैं वो इसलिए की तुम्हारे आने से हमने आगे बढ़ने और सीखने का एक और नया माध्यम ढूंढ निकाला हैं।

कोरोना जी, आपकी वजह से तकलीफें तो बहुत हो रही हैं कुछ मानसिक तौर पर तो कुछ तनाव की व्यस्तता की शिकस्त में तो आ ही जाता हूँ पर उसके निवारण के लिए ख़ुद को किसी न किसी तरह शारीरिक रूप से व्यस्त करने की कोशिश भी कर ही लेते हैं। अपने कैंपस में एक बूमररेंग को उछाल-उछाल उसके पीछे लगने वाले विज्ञान को पढ़ने समझने की भी कोशिश करते-करते समय व्यतीत करा है, और यक़ीन मानो बूमररेंग का इतिहास और भौतिक विज्ञान बहुत ही दुर्लभ हैं इस बात का भी अभी हाल ही में पता चला हैं।

तुमको थोड़ा बता दूं कि तुमसे डर कर बाहर निकलना बंद कर दिया हैं और अब तुम्हारी इस कठोरता की वजह से आलस्य का हर पैमाना भर आया है। मगर कुछ अच्छा ये भी हुआ है कि अपनी कुछ अच्छी आदतों की बदौलत घर में पड़े-पड़े कुछ सीख लेता हूँ।

आपने इस ख़त में कुछ शुक्रिया इंटरनेट का भी करना चाऊँगा। जिसने हमें मुश्किल परिस्थितियों में भी बैंडविड्थ कमज़ोर होने के बावजूद एक दूसरे से हमको जोड़े रखा।

सच में इंटरनेट एक चमत्कारी चीज़ हैं ये आज इसने साबित कर ही दिया क्योंकि इसने हमारी सीखने की चाहत को कभी रुकने नहीं दिया। लोगों से मिलना बंद हुआ मगर उनसे जुड़ना बंद नहीं हुआ। ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गणित पर चर्चा और विज्ञान के पहलुओं पर बहस अभी भी चलती जा रही है।

तुम्हारे बढ़ने के गणित को धीरे-धीरे समझने की कोशिश करी तो अच्छा लगा और पता भी चला कि तुम्हारा बढ़ने का गणित दो जमा दो या दो गुणा दो की सीमा के कई मीलों दूर तक तेज़ी से फैलने वाला घातांक निकला।

तुमको घटाना या भाग करने के लिए हमने जिस गणित 14 दिन के क्वारंटाइन का उपयोग किया है उसने काफी कुछ सीखा दिया हैं। जिसका उपयोग मैं तुम्हारे जाने के बाद भी करता रहूँगा।

अंत में कोरोना जी आपसे बस इतना ही अनुरोध है कि आप अभी तो होना पर प्लीज़ कल न होना।

 

धन्यवाद कोरोना

तुम्हारी छत्र छाया से दूर रहने का प्रयास करने वाला

शुभम (आविष्कार फेलो)